अयोध्या में जब रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है,तब भगवान श्रीराम के निषादराज से मिलन की भूमि पर भी अनूठा उल्लास का माहौल है। शास्त्रों और कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में दशरथ के आग्रह पर भगवान श्रीराम के जन्म के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ शृंगवेरपुरधाम में ही ऋषि शृंगी ने किया था।
त्रेतायुगीन प्रभु श्रीराम की समरसता की भूमि शृंग्वेरपुरधाम में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की छटा देखते बनेगी। यहां प्रभु श्रीराम ने वनवासी वेश में निषादराज को गले लगाकर दुनिया को समरसता का संदेश दिया था। केवट ने इसी भूमि पर भगवान को अपनी नाव से गंगा पार कराया था। अब प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन वहां दीपावली मनाने की तैयारी है। इसके लिए 21 हजार रामज्योति जलाई जाएगी । अयोध्या में जब रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है,तब भगवान श्रीराम के निषादराज से मिलन की भूमि पर भी अनूठा उल्लास का माहौल है। शास्त्रों और कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में दशरथ के आग्रह पर भगवान श्रीराम के जन्म के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ शृंगवेरपुरधाम में ही ऋषि शृंगी ने किया था। मान्यता है कि उसी यज्ञ के बाद राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण समेत चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। इसलिए भी शृंग्वेरपुरधाम का अयोध्या से अटूट रिश्ता है।ऐसे में आगामी 22 जनवरी को जब पूरा देश राममय होकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनेगा तब शृंग्वेरपुरधाम में जय श्रीराम सेवा समिति की ओर से 21 हजार दीपों से दीपावली मनाई जाएगी। श्रीरामघाट पर रामज्योति जलेगी। इस राम ज्योति को घर- घर जलाया जाएगा। प्राण- प्रतिष्ठा महोत्सव के संचालक अरुण द्विवेदी बताते हैं कि 21हजार रामज्योति रंगों का उत्सव मनाया जाएगा। इसी के साथ वाराणसी से मुस्लिम बहनों की ओर से रामज्योति शृंग्वेरपुरधाम भेजी जाएंगी। 22 जनवरी को दीपावली उत्सव के पूर्व साधु-संतों के सानिध्य में श्रीराम कथा होगी। शृंग्वेरपुरधाम पीठाधीश्वर महंत रामप्रसाद दास शास्त्री, हनुमानगढ़ी के महंत कमलदास महाराज,राघवदास महाराज, हनुमानदास महाराज समेत अन्य साधु-संतों की रामकथा से शृंग्वेरपुरधाम राममय होगा।
नौका पर विराजमान होंगे रामलला
अयोध्या में जहां एक तरफ रामलला विराजमान होंगे, वहीं दूसरी तरफ शृंग्वेरपुरधाम में रामलला की सुंदर झांकियों को नौका से गंगापार कराया जाएगा। रामलला को नौका में बैठाकर गंगा पार कराने का दृश्य शृंग्वेरपुरधाम को त्रेता युग की यादें दिलाएगा। इसी के साथ अयोध्या से शृंग्वेरपुरधाम तक को राममय बनाया जाएगा।
शृंग्वेरपुरधाम ऋषि श्रृंगी की तपोभूमि है। मान्यता है कि त्रेता युग में ऋषि श्रृंगी ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था। जिसके बाद प्रभु श्रीराम का प्राकटय हुआ। – शृंग्वेरपुरधाम पीठाधीश्वर महंत श्रीरामप्रसाद दास शास्त्री
दीपोत्सव मनाया जाना प्रभु श्रीराम के साक्षात अयोध्या के साथ शृंग्वेरपुरधाम में होने की अनुभूति कराएगा। यहां का दीपोत्सव अद्भुत पलों की अनुभूति कराएगा। – महंत कमलदास महाराज, हनुमान गढ़ी रामचौरा।
शृंग्वेरपुरधाम ने विश्व को श्रीराम दिया है। यह शृंग्वेरपुरधामवासियों के लिए गर्व की बात है। शृंग्वेरपुरधाम में ही भगवान श्रीराम ने दो बार गंगा पूजन किया था। – अरुण द्विवेदी-महामंत्री, जय श्रीराम सेवा समिति।